Wednesday, July 22, 2015

Baahubali-The Beginning - Mahishmati Samrajyam Song - Tried to compile the Sanskrit Lyrics

माहिश्मतिः साम्राज्यम् अस्माकम् अजेयम् ।
आऽसुर्य चन्द्र ताराः वर्धताम् अविवर्धताम् ॥


दुर्भेध्यम् दुर्निरिक्छ्म् सर्वशत्रुभयन्करम् ।
अश्वऽचतुरङसैन्यम् विजयताम् दिग्विजयताम् ॥


येतद्दुरऽधिकमदुर्गे मगधे यस्य वीक्शणम् ।
तस्य शीर्शम् खड्गऽछिन्नम् पधताम् रणभुतले ॥


माहिश्मतिः गगनशीले विराजते निरन्तरम् ।
अश्वत्रयऽआदित्याः नित्ऽस्वर्ण सिङ्हासन​ऽध्वजम् ॥


   - चौधरी विजय सिंह 


Monday, June 8, 2015

Monday, June 17, 2013

!!! सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा !!!

मनमोहन जी कोयला खा गये, लालू खा गये चारा,

सारे जहाँ से अच्छा, लोकतंत्र हमारा

घोटाले के रेलमंत्री कहते, भांजा नही हमारा,

महगाई की मार से रोता, आम आदमी सारा 

सज्जन कुमार को बरी करके, कहते है निर्दोष बेचारा,

भारत को लूटने के चक्कर मे, राहुल रहा कुवारा

फोन काल अब सस्ती हो गयी, दाल का चढ गया पारा,

घोटालो पे घोटाला करके, कहते दोष नही हमारा

राजनीति के चक्कर मे, शहीद हुआ सरबजीत बेचारा,

आईपीएल की धूम मची है, काम छोड गये सारा

नेता जी यह देख रहे है, किसने छक्का मारा,

चारो तरफ लूट मची है, देश बेच गये सारा

जात पात के चक्कर का है, वोट बैंक ये सारा,

हिन्दु मुस्लिम के चक्कर मे, हर हिंदुस्तानी हारा



!!! सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा !!!

Friday, May 17, 2013

इंक़लाब ज़िंदाबाद !!


सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

- श्री राम प्रसाद बिस्मिल जी 

Thursday, May 16, 2013

S Sreesanth & two others charged of spot fixing, Arrested in Mumbai late last night !!

तू शाहीन है,
परवाज़ है काम तेरा ।।
तेरे सामने आसमान और भी हैं ,
सितारों से आगे जहां और भी हैं ।।


शायद यही चल रहा होगा राजस्थान रॉयल्स के खिलाडी S. श्रीसंत के मन में जब उसने चंद पैसों के लिए अपने ईमान, खेल की भावना, दो उभरते सितारों के भाग्य और भी न जाने किस-किस को बेच दिया ।


भारत देश जिसमें लोग अपने रोज़मर्रा के काम काज को छोड़कर क्रिकेट से ज्यादा सरोकार रखते हैं वहाँ इस तरीके की हरकत बेहद शर्मनाक है । रोंगटे तो ये सोच के खड़े हो जाते हैं कि इस गोरखधंधे में और कौन कौन शामिल हो सकता है । कहीं ये गुनाह, जिसके मुखोटे अभी S. श्रीसंत और अन्य दो खिलाडियों के रूप में दिख रहे हैं, एक सुनियोजित बुने गए ताने-बाने का धागा मात्र तो नहीं है ?? 

ज़रा सोचिये ऐसा नहीं है कि यही खिलाड़ी हैं जिन्होंने पैसों के लिए एक ओवर में अधिक रन दिए हों । अजी अपनी याददाश्त की टोपी ज़रा घुमाइए और ज्यादा नहीं बस थोड़ी दूर ही चलिये । याद कीजिये किस तरह से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर vs चेन्नई सुपर किंग्स मुकाबला जिसमें रॉयल चैलेंजर्स के आर पी  सिंह ने हद ही कर दी थी । अजी कोई नौसिखिया बॉलर भी मैच की अंतिम बॉल को नो बॉल नहीं फ़ेंक सकता !! बात कुछ हज़म नहीं होती । पर क्या करें इस देश में हज़म करना पड़ता है ।

अब ये सब आई पी एल की बातें छोडिये ये सब तो बेहद छोटी हैं, शायद दो पांच दिन में हज़म हो भी जायें पर इन बड़े-छोटे नेताओं का क्या करें जो हज़म करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानके बैठे हैं । अजी इनके हाजमे के तो कहने ही क्या, रकम जितनी बड़ी होती है ये उतनी ही जल्दी हज़म कर जाते हैं । इनके हाजमे से तो हाजमोला वाले भी डरते हैं (व्यंग) !!

खैर जो भी हो इनका या क्रिकेटरों का, मीडिया को तो जैसे गढ़ा हुआ खजाना हाथ लग जाता है, अब अगले पांच-छेह दिन तो ये लोग आई पी एल की धज्जियां उड़ाने मैं लग जाएंगे । जियो मीडिया २१ वीं  सदी सच में तुम्हारी ही है ।


                                                                                                    - चौधरी विजय सिंह 


Wednesday, May 15, 2013

An effective grievance redressal system for Organizations


Broadly, a grievance can be defined as “any discontent or dissatisfaction, whether expressed or not, whether valid or not, arising out of anything connected with the organization which an employee thinks, believes or even feels to be unfair, unjust or inequitable.”

It can be real or imaginary, legitimate or ridiculous, rated or unvoiced, written or oral, it must be however, find expression in some form of the other.
A grievance may be imaginary, or based on insufficient, or lack of knowledge of the facts; such a grievance can be just as irritating to the employee concerned as one based upon real and justifiable causes.



Efficient Grievance redressal system should be :

•           Easily accessible and well publicized
•           Simple to understand and use
•           Speedy, with established time limits for action and
•           Keeping people informed of progress
•           Fair , comprehensive and impartial in its investigation
•           Confidential
•           Informative
•           Able to include an analysis of response time
•           Able to Inform the complainant of the proposed action



                                                                                                    - Vijay Chaudhary