Friday, May 17, 2013
Thursday, May 16, 2013
S Sreesanth & two others charged of spot fixing, Arrested in Mumbai late last night !!
तू शाहीन है,
परवाज़ है काम तेरा ।।
तेरे सामने आसमान और भी हैं ,
सितारों से आगे जहां और भी हैं ।।
शायद यही चल रहा होगा राजस्थान रॉयल्स के खिलाडी S. श्रीसंत के मन में जब उसने चंद पैसों के लिए अपने ईमान, खेल की भावना, दो उभरते सितारों के भाग्य और भी न जाने किस-किस को बेच दिया ।
भारत देश जिसमें लोग अपने रोज़मर्रा के काम काज को छोड़कर क्रिकेट से ज्यादा सरोकार रखते हैं वहाँ इस तरीके की हरकत बेहद शर्मनाक है । रोंगटे तो ये सोच के खड़े हो जाते हैं कि इस गोरखधंधे में और कौन कौन शामिल हो सकता है । कहीं ये गुनाह, जिसके मुखोटे अभी S. श्रीसंत और अन्य दो खिलाडियों के रूप में दिख रहे हैं, एक सुनियोजित बुने गए ताने-बाने का धागा मात्र तो नहीं है ??
ज़रा सोचिये ऐसा नहीं है कि यही खिलाड़ी हैं जिन्होंने पैसों के लिए एक ओवर में अधिक रन दिए हों । अजी अपनी याददाश्त की टोपी ज़रा घुमाइए और ज्यादा नहीं बस थोड़ी दूर ही चलिये । याद कीजिये किस तरह से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर vs चेन्नई सुपर किंग्स मुकाबला जिसमें रॉयल चैलेंजर्स के आर पी सिंह ने हद ही कर दी थी । अजी कोई नौसिखिया बॉलर भी मैच की अंतिम बॉल को नो बॉल नहीं फ़ेंक सकता !! बात कुछ हज़म नहीं होती । पर क्या करें इस देश में हज़म करना पड़ता है ।
अब ये सब आई पी एल की बातें छोडिये ये सब तो बेहद छोटी हैं, शायद दो पांच दिन में हज़म हो भी जायें पर इन बड़े-छोटे नेताओं का क्या करें जो हज़म करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानके बैठे हैं । अजी इनके हाजमे के तो कहने ही क्या, रकम जितनी बड़ी होती है ये उतनी ही जल्दी हज़म कर जाते हैं । इनके हाजमे से तो हाजमोला वाले भी डरते हैं (व्यंग) !!
खैर जो भी हो इनका या क्रिकेटरों का, मीडिया को तो जैसे गढ़ा हुआ खजाना हाथ लग जाता है, अब अगले पांच-छेह दिन तो ये लोग आई पी एल की धज्जियां उड़ाने मैं लग जाएंगे । जियो मीडिया २१ वीं सदी सच में तुम्हारी ही है ।
- चौधरी विजय सिंह
Wednesday, May 15, 2013
An effective grievance redressal system for Organizations
Broadly, a grievance can be
defined as “any discontent or
dissatisfaction, whether expressed or not, whether valid or not, arising out of
anything connected with the organization which an employee thinks, believes or
even feels to be unfair, unjust or inequitable.”
It can be real or imaginary,
legitimate or ridiculous, rated or unvoiced, written or oral, it must be
however, find expression in some form of the other.
A grievance may be imaginary, or
based on insufficient, or lack of knowledge of the facts; such a grievance can
be just as irritating to the employee concerned as one based upon real and
justifiable causes.
Efficient Grievance
redressal system should be :
• Easily accessible and
well publicized
• Simple to understand
and use
• Speedy, with
established time limits for action and
• Keeping people informed
of progress
• Fair , comprehensive
and impartial in its investigation
• Confidential
• Informative
• Able to include an
analysis of response time
• Able to Inform the
complainant of the proposed action
- Vijay Chaudhary
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